आया.. वसंत

             

सरसो में निकल आये हैं फूल ।
आम के पेड़ों में मंजरी रहे झूल ।।
मानो ऐसा प्रतित हो रहा है ।
उनके चेहरों पर मुस्कान है ।।
खेतों ने किया त्रृंगार हो ।
कृषकों का मानो संसार हो ।।
देखकर फसलों को उनके ।
मन-मयूर नाच उठता है ।।
इनकी सौंदर्य देख ।
हमसब हो जाते विभोर ।।
लहलहाती हैं फसलें ।
हवा में खाती हिलोर ।।
वसंत के महीने में ।
सुहाना है अद्भुत दृश्य ।।
चिड़ियाँ भी चहचहाती ।
भवरे भी है गुणगुनाती ।।
कोयल की कूक में ।
मिठास सबको है भाति ।।
तितलियाँ पंख फैलाकर ।
कुलांचे रही है मार ।।
फूलों को रहता है शायद ।
उनके आने का इंतजार ।।
खेतों में लहलहाते हैं गेहूं ।
सरसो के डंठल कचनार ।।
धीमें-धीमें बहती हवा में ।
पौधें भी नृत्य कर लेते है ।।
खिले हुए फूल देखकर ।
मन मुदित हो जाता है ।।
वसंत उल्लास का मौसम है ।
हमें सदैव आशा से भर देता है ।।
प्रकृति जब हर्षित होती है ।
मेहनत तभी फलित होती है ।।

                अभय सिंह

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